Thursday, December 21, 2017

तिरुपति बालाजी Tirupati Balaji Temple

तिरुपति बालाजी
आन्ध्र प्रदेश की तिरुमाला पहाडियों में बसा है तिरुमाला वेंकटेश्वारा मंदिर जिसे तिरुपति बालाजी के नाम से जाना जाता है, भगवान विष्णु को समर्पित है. यह मंदिर भारत में मौजूद सबसे अमीर मंदिरों में शुमार है. यहां पर प्रसाद के रूप में मिलने वाला लड्डू अपने स्वाद के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है.
यहां पर मन्नत पूरी हो जाने पर लोग अपने बालों का चढ़ावा चढ़ाते हैं, जिससे यहां लगभग लाखों डॉलरों की कमाई होती है.



जानें तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्यों और मान्यताओं के बारे में...

हर साल लाखों लोग तिरुमाला की पहाडिय़ों पर उनके दर्शन करने आते हैं. तिरुपति के इतने प्रचल‍ित होने के पीछे कई कथाएं और मान्यताएं हैं. इस मंदिर से बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हैं. चलिए एक नजर ड़ालते हैं उन मान्यताओं पर- भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी मंदिर. यहां बड़े-बड़े उद्योगपति, फिल्मी सितारे और राजनेता दर्शन के लिए पहुंचते हैं. तिरुपति महाराज जी के दरबार में अमीर और गरीब दोनों जाते हैं. हर साल लाखों लोग तिरुमाला की पहाडिय़ों पर उनके दर्शन करने आते हैं. तिरुपति के इतने प्रचल‍ित होने के पीछे कई कथाएं और मान्यताएं हैं. इस मंदिर से बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हैं. चलिए एक नजर ड़ालते हैं उन मान्यताओं पर- 


  • माना जाता है कि तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में रहते हैं.

  • तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है. कहा जाता है कि इसी छड़ी से बालाजी की बाल रूप में पिटाई हुई थी, जिसके चलते उनकी ठोड़ी पर चोट आई थी.

  • मान्यता है कि बालरूप में एक बार बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था. इसके बाद से ही बालाजी की प्रतीमा की ठोड़ी पर चंदन लगाने का चलन शुरू हुआ. 

  • कहते हैं कि बालाजी के सिर रेशमी बाल हैं और उनके रेशमी बाल कभी उलझते नहीं.

  • कहते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब करीब 23 किलोमीटर दूर एक से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं. इतना ही नहीं वहीं से भगवान को चढ़ाई जाने वाली दूसरी वस्तुएं भी आती हैं. लोग कहते हैं कि उस गाव में किसी बाहरी शख्स का जाना मना है, क्योंकि वहां कि औरतें ब्लाउज नहीं पहनती.

  • हैरानी की बात तो यह है कि वास्तव में बालाजी महाराज मंदिर में दाएं कोने में खड़े हैं, लेकिन उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानों वे गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े हों.

  • तिरुपति बालाजी मंदिर में बालाजी महाराज को रोजाना धोती और साड़ी से सजाया जाता है. 

  • कहते हैं कि बालाजी महाराज की मूर्ती की पीठ पर कान लगाकर सुनने से समुद्र घोष सुनाई देता है और उनकी पीठ को चाहे जितनी बार भी क्यों न साफ कर लिया जाए वहां बार बार गीलापन आ जाता है.







Tirupati balaji story: सबसे अमीर हो कर भी गरीब है तिरुपति बालाजी


Tirupati balaji story in Hindi : अगर धन के आधार पर देखा जाए तो वर्तमान में सबसे धनवान भगवान बालाजी हैं। एक आंकड़े के अनुसार बालाजी मंद‌िर ट्रस्ट के खजाने में 50 हजार करोड़ से अध‌िक की संपत्त‌ि है। लेक‌िन इतने धनवान होने पर भी बालाजी सभी देवताओं से गरीब ही हैं
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धनवान होकर भी गरीब हैं बालाजी
आप सोच रहे होंगे क‌ि इतना पैसा होने पर भी भगवान गरीब कैसे हो सकते हैं। और दूसरा सवाल यह भी आपके मन में उठ सकता है क‌ि जो सबकी मनोकामना पूरी करता है वह खुद कैसे गरीब हो सकता है।
लेक‌िन त‌िरुपत‌ि बालाजी के बारे में ऐसी प्राचीन कथा है ज‌िसके अनुसार बालाजी कल‌ियुग के अंत तक कर्ज में रहेंगे। बालाजी के ऊपर जो कर्ज है उसी कर्ज को चुकाने के ल‌िए यहां भक्त सोना और बहुमूल्य धातु एवं धन दान करते हैं।
शास्‍त्रों के अनुसार कर्ज में डूबे व्यक्त‌ि के पास क‌ितना भी धन हो वह गरीब ही होता है। इस न‌ियम के अनुसार यह माना जाता है क‌ि धनवान होकर भी गरीब हैं बालाजी।
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आख‌िर कर्ज में क्यों डूबे हैं त‌िरुपत‌ि बालाजी
प्राचीन कथा के अनुसार एक बार महर्ष‌ि भृगु बैकुंठ पधारे और आते ही शेष शैय्या पर योगन‌िद्रा में लेटे भगवान व‌िष्‍णु की छाती पर एक लात मारी। भगवान व‌िष्‍णु ने तुरंत भृगु के चरण पकड़ ल‌िए और पूछने लगे क‌ि ऋष‌िवर पैर में चोट तो नहीं लगी।

भगवान व‌िष्‍णु का इतना कहना था क‌ि भृगु ऋष‌ि ने दोनों हाथ जोड़ ल‌िए और कहने लगे प्रभु आप ही सबसे सहनशील देवता हैं इसल‌िए यज्ञ भाग के प्रमुख अध‌िकारी आप ही हैं। लेक‌िन देवी लक्ष्मी को भृगु ऋष‌ि का यह व्यवहार पसंद नहीं आया और वह व‌िष्‍णु जी से नाराज हो गई। नाराजगी इस बात से थी क‌ि भगवान ने भृगु ऋष‌ि को दंड क्यों नहीं द‌िया।
नाराजगी में देवी लक्ष्मी बैकुंठ छोड़कर चली गई। भगवान व‌िष्‍णु ने देवी लक्ष्मी को ढूंढना शुरु क‌िया तो पता चला क‌ि देवी ने पृथ्‍वी पर पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म ल‌िया है। भगवान व‌िष्‍णु ने भी तब अपना रुप बदला और पहुंच गए पद्मावती के पास। भगवान ने पद्मावती के सामने व‌िवाह का प्रस्ताव रखा ज‌िसे देवी ने स्वीकार कर ल‌िया।










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