Showing posts with label डासना मंदिर. Show all posts
Showing posts with label डासना मंदिर. Show all posts

Thursday, December 21, 2017

इस मंदिर का इतिहास जानकर दंग रह जाएंगे आप डासना देवी मंदिर पौराणिक मंदिर




इस मंदिर का इतिहास जानकर दंग रह जाएंगे आप
लाक्षागृह से निकलने के बाद यहां बिताया था पांडवों ने कुछ समय, विदेशियों के हमले से खंडित हो गया था मंदिर, यहां के तालाब के पानी से दूर हो जाता है कोढ़
गाजियाबाद। दिल्ली-एनसीआर के गाजियाबाद में कुछ ऐसे देवी-देवाताओं के मंदिरों हैं, जिनमें इतिहास छुपा हुआ है। इनके बारे में जानकर आप दंग रह जाएंगे। ये अंग्रेजों के समय से लेकर महाभारत का अतीत भी अपने अंदर समाए हुए हैं। गाजियाबाद देहात में डासना देवी मंदिर पौराणिक समय से महाभारत के इतिहास से जुड़ा हुआ है।
बताया जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने यहां कुछ समय बिताया था। इस मंदिर पर जब हमला हुआ था तो यहां पर देवी देवाताओं की मूर्तियों को मंदिर परिसर में बने एक तालाब में छुपा दिया गया था। नवरात्र पर्व के मौके पर अष्टमी और नवमी के दिन हजारों की संख्या में लोग ऐतिहासिक महत्व वाले डासना स्थित प्राचीन देवी में दर्शन के लिए आते हैं। लोग अपने परिवार के लोगों की सुख शांति के लिए प्रचंड चंडी देवी से दुआ मांगते हैं। करीब पांच हजार साल पुराने इस मंदिर में भगवान शिव, नौ दुर्गा, सरस्वती, हनुमान की मूर्ति स्थापित हैं।
मंदिर की मान्यता 
ऐसी मान्यता है कि महाभारत काल में माता कुंती के साथ पांडव लाक्षागृह से निकलने के बाद यहां रुके थे। रामायण काल में भगवान परशुराम ने इस मन्दिर में शिवलिंग की स्थापना की थी।
अष्टमी व नवमी पर आते हैं दो लाख भक्त
 
महंत यति बाबा नरसिंहानंद सरस्वती ने बताया कि नवरात्रि में नौ दिनों तक मन्दिर में अखंड बगलामुखी यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिसमें विश्व शांति की कामना की जाती है। अष्टमी और नवमी के दिन लगभग दो लाख भक्त माता के दर्शन को आते हैं।

हमले के दौरान तालाबा में छुपाई गई थीं मूर्तियां
मन्दिर की पौराणिक महत्व को बताते हुए महंत नरसिंहानंद ने कहा कि जिस समय हिन्दू धर्म का स्वर्णिम युग चल रहा था। उस समय यह मन्दिर प्रमुख तीर्थ स्थलों में शुमार हुआ करता था। विदेशी आक्रमण कारियों के हमले में मन्दिर को क्षतिग्रस्त हो गया। उस समय के पुजारियों ने माता की मूर्ति को आक्रमणकारियों से बचाने के लिए मंदिर के सरोवर में छिपा दिया।

पूरे भारत में हैं केवल दो मूर्तियां
उन्होंने बताया कि बहुत समय बाद स्वामी जगदगिरि महाराज को माता ने सपने में दर्शन दे कर तालाब में मूर्ति की बात से अवगत कराया और पुनः स्थापना के लिए आदेश दिया। जिसके बाद तालाब से मूर्ति को निकाल कर पुनः प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित कराया गया। माता की मूर्ति कसौटी पत्थर की बनी है। इस पत्थर की बनी मां काली की भारत भर में केवल दो मूर्ति हैं। मंदिर प्रांगण में स्थित तालाब में स्नान करने चर्म रोग व कुष्ठ रोग ठीक हो जाते हैं।

दिव्य दर्शन

ब्रज चैरासी कोसीय परिक्रमा मार्ग पर विभिन्न पड़ाव स्थलों पर 30 जनसुविधा केन्द्रों का निर्माण

  प्रस्तावना ब्रज क्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण की जन्म व क्रीड़ा स्थली होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से विश्व विख्यात है। यहाँ ...