Showing posts with label Virupaksha Temple at Hampi. Show all posts
Showing posts with label Virupaksha Temple at Hampi. Show all posts

Thursday, December 21, 2017

विरूपक्षा टेम्पल Virupaksha Temple at Hampi

विरूपक्षा टेम्पल
7 वीं सदी में हम्पी में बना यह मंदिर आज भी अपने पूजा पाठ के लिए जाना जाता है. इसे unesco द्वारा राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जा चुका है.
यह मंदिर धार्मिक दृष्टि के अलावा पर्यटन कि दृष्टि से भी काफी महत्व रखता है.





विरुपाक्ष मन्दिर (अंग्रेज़ीVirupaksha Templeहम्पीकर्नाटक के कई आकर्षणों में से मुख्य है। 15वीं शताब्दी में निर्मित यह मन्दिर बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है। 1509 ई. में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहाँ गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। भगवान 'शिव' को यह मन्दिर समर्पित है। विरुपाक्ष मन्दिर को 'पंपापटी' नाम से भी जाना जाता है। मन्दिर का संबंध इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से है।

स्थिति तथा स्थापत्य

15वीं शताब्दी में निर्मित यह मन्दिर हम्पी नगर के बाज़ार क्षेत्र में स्थित है। यह नगर के सबसे प्राचीन स्मारकों में से एक है। मन्दिर का शिखर ज़मीन से 50 मीटर ऊँचा है। मन्दिर का संबंध विजयनगर काल से है। विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं। मन्दिर के पूर्व में पत्थर का एक विशाल नंदी है, जबकि दक्षिण की ओर गणेश की विशाल प्रतिमा है। यहाँ अर्ध सिंह और अर्ध मनुष्य की देह धारण किए नृसिंह की 6.7 मीटर ऊँची मूर्ति है।[1] विरुपाक्ष मंदिर के प्रवेश द्वार का गोपुरम हेमकुटा पहाड़ियों व आसपास की अन्य पहाड़ियों पर रखी विशाल चट्टानों से घिरा है और चट्टानों का संतुलन हैरान कर देने वाला है।

गोपुड़ा का निर्माण

विश्व विरासत स्थलहम्पी के कई आकर्षणों में से विरुपाक्ष मन्दिर मुख्य है। 1509 में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहँ के गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। विरुपाक्ष मंदिर हंपी के उन गिने-चुने मंदिरों में से है, जिनमें आज भी विधिवत पूजा होती है।
विरुपाक्ष मन्दिर का शिखर ज़मीन से 50 मीटर ऊंचा है। इस विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं। विरुपाक्ष मन्दिर विश्व विरासत स्थल की सूची में सम्मिलित है। मन्दिर को 'पंपापटी मन्दिर' भी कहा जाता है, यह हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है।

किंवदंती

किंवदंती है कि भगवान विष्णु ने इस जगह को अपने रहने के लिए कुछ अधिक ही बड़ा समझा और अपने घर वापस लौट गए। विरुपाक्ष मन्दिर में भूमिगत शिव मन्दिर भी है। मन्दिर का बड़ा हिस्सा पानी के अन्दर समाहित है, इसलिए वहाँ कोई नहीं जा सकता। बाहर के हिस्से के मुक़ाबले मन्दिर के इस हिस्से का तापमान बहुत कम रहता है।


दिव्य दर्शन

ब्रज चैरासी कोसीय परिक्रमा मार्ग पर विभिन्न पड़ाव स्थलों पर 30 जनसुविधा केन्द्रों का निर्माण

  प्रस्तावना ब्रज क्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण की जन्म व क्रीड़ा स्थली होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से विश्व विख्यात है। यहाँ ...