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Thursday, December 21, 2017

रामनाथस्वामी मंदिर रामेश्वरम RAMANATHASWAMY RAMESWARAM TEMPLE HISTORY

रामनाथस्वामी (रामेश्वरम) मंदिर
ये मंदिर तमिलनाडु के पास एक छोटे से द्वीप के समीप है जिसे रामेश्वरम के नाम से जाना जाता है. यह हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार उनके चार पवित्र धामों में से एक है.
एक मान्यता के अनुसार जब भगवान राम, रावण को हरा कर आये थे तो पश्चाताप के लिए उन्होंने शिव की पूजा करने की योजना बनाई क्योंकि उनके हाथों से एक ब्राह्मण की मृत्यु हो गयी थी. शिव की पूजा के लिए उन्होंने हनुमान को कैलाश भेजा जिससे वह उनके लिंग रूप को वहां ला सकें. पर जब तक हनुमान वापिस लौटते तब तक सीता माता रेत का एक लिंग बना चुकी थी. हनुमान द्वारा लाए गए लिंग को विश्वलिंग खा गया जबकि सीता द्वारा बनाये गए लिंग को रामलिंग कहा गया. भगवान राम के आदेश से आज भी रामलिंग से पहले विश्वलिंग की पूजा की जाती है.



रामनाथस्वामी मंदिर रामेश्वरम इतिहास RAMANATHASWAMY RAMESWARAM TEMPLE HISTORY IN HINDI

रामेश्वरम् का रामनाथस्वामी मंदिर भारत का एक प्राचीन प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर एक बहुत ही पवित्र स्थल है क्योंकि बारह स्थापित ज्योतिर्लिंग में से एक इस मंदिर में मौजूद है। भारत का एक बहुत ही सुंदर तथा पवित्र तीर्थस्थल है जहां प्रतिवर्ष लाखों की तादाद में श्रद्धालु पहुंचते हैं। लिंग के रूप में इस मंदिर में मुख्य भगवान  श्री रामनाथस्वामी को माना जाता है जो वैष्णववाद और शैववाद का एक संगम है।

इस मंदिर में जो सबसे सुंदर कलाकारी देखने को मिलता है वह है मंदिर के दीवारों पर खोद कर बनाई गई पत्थरों की मूर्तियां और  डिजाइन।  दीवारों पर की गई कार्यकारी देखने में बहुत ही सुंदर दिखती है और इतिहास के महान कला को दर्शाती है।
मंदिर का क्षेत्र लगभग 15 एकड का है जिसमें आपको कई प्रकार के भव्य वास्तुशिल्पी देखने को मिल जाएंगे।  कला के साथ-साथ आपको रामनाथस्वामी मंदिर में कई प्रकार के अलग-अलग शिल्पी भी देखने को मिलेगी क्योंकि समय-समय पर इस मंदिर की रक्षा कई राजाओं ने की थी।

क और बात जो इस मंदिर को मुख्य बनाता है वह है प्राकृतिक झरने का पानी जिसे ‘थीर्थम’ कहा जाता है। लोगों का मानना है कि इस झरने के पानी में डुबकी लगाने वाले लोगों के सभी दुख कष्ट दूर होते हैं और पापों से मुक्ति मिलती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है रामेश्वरम का रामनाथस्वामी मंदिर रामायण के जितना ही पुराना है। कहा जाता है इसकी शुरुआत तब हुई जब श्रीराम ने, असुरराज रावण के राज्य लंका पर आक्रमण करने का निर्णय लिया था। यह कहा जाता है कि रावण ने रामेश्वरम के समुद्र तट पर रुक कर अपनी प्यास बुझाई थी। परंतु आकाशवाणी से रावण को बताने के बाद भी पानी पीने से पहले रावण ने किसी भी प्रकार की प्रार्थना नहीं की थी
। उसके पश्चात श्रीराम ने रामेश्वरम में एक लिंग की स्थापना की तथा भगवान शिव से रावण के विनाश के लिए आशीर्वाद मांगा।  
महाकाव्य रामायण के अनुसार एक साधु ने श्रीराम को कहा था कि शिवलिंग स्थापित करने से वहां रावण के वध के पाप से मुक्ति पा सकते हैं इसीलिए श्रीराम ने भगवान अंजनेय को कैलाश पर्वत पर एक लिंग लाने के लिए भेजा परंतु वह लिंग लेकर समय पर वापस ना लौट सके इसीलिए माता सीता ने  मिट्टी की मदद से एक लिंग तैयार किया जिसे ‘रामलिंग’ कहा गया। जब भगवान अंजनेय वापस लौटे तो उन्हें यह देखकर बहुत दुख लगा। उनके दुख को देखकर भगवान श्रीराम ने उस लिंग का नाम रखा ‘वैश्वलिंगम’। इसी कारण रामनाथस्वामी मंदिर को वैष्णववाद और शैववाद दोनों से जोड़ा गया है।  
इतिहासकारों का मानना है  रामेश्वरम का रामनाथस्वामी मंदिर 12वीं शताब्दी का है। श्रीलंका के राजा ‘पराक्रम बाहू’ ने मूर्ति के चारों ओर एक मजबूत संरचना का निर्माण करने का प्रयास किया जो ‘सेतुपथी’ नामक एक शासक के द्वारा पूर्ण किया गया जो रामनाथपुरम के निवासी थी।

रामेश्वरम रामनाथस्वामी मंदिर के प्रमुख आकर्षण BEST ATTRACTION PLACES FOR RAMNATHASWAMY TEMPLE

रामेश्वरम का मंदिर है  रामनाथस्वामी मंदिर का एक  प्रमुख आकर्षण है परंतु मंदिर के प्रांगण में ऐसे कई प्रकार के और भी जगह हैं जो रामनाथस्वामी मंदिर में आकर्षण के कारण है –  जैसे
  1. मंदिर के आसपास 22 अन्य थीर्थम  हैं जिसके पानी को पवित्र माना जाता है और कहा जाता है कि उन चरणों के पानी में स्नान करने वाले व्यक्ति  के सभी पाप मुक्त होते हैं और सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति  मिलती है।
  2. रामेश्वरम मंदिर का क्षेत्र लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है और  मंदिर की दीवारों पर कई प्रकार के पौराणिक शिल्पकारी की छाप देखने को मिलती है।
  3. मंदिर का गोपुरम लगभग 4000 फीट लम्बा है। जिनके दोनों तरफ के स्तंभों पर बहुत ही सुंदर खुदी हुई शिल्पीकारी देखने को मिलता है।
  4. ब्रह्मोत्सव  के उत्सव के दौरान रामनाथस्वामी मंदिर घूमने जाना सबसे बेहतरीन होता है क्योंकि इस समय त्यौहार का समय होता है और कई देशों से पर्यटक मंदिर को देखने के लिए पहुंचते हैं।  यह समय वर्ष के जून और जुलाई महीने में पड़ता है।
  5. अगर हम अलंकरण के विषय में बात करें तो मंदिर में पल्लव, त्रावणकोर, रामनतपुरम, मैसूर और पुदुक्कोट्टई राज्यों का अलग-अलग रंग देखने को मिलता है।

रामनाथस्वामी मंदिर कहां है और वहां कैसे पहुंचे? HOW TO REACH RAMESWARAM RAMANATH SWAMI TEMPLE IN HINDI

यह भव्य मंदिर रामेश्वरम, तमिलनाडु में स्थित है। आप रामेश्वरम हवाई जहाज, रेल, या फिर सड़क के माध्यम से पहुंच सकते हैं।  प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक रामनाथस्वामी मंदिर घूमने के लिए आते हैं। रामेश्वरम कहां रामनाथस्वामी मंदिर भारत का एकमात्र मंदिर है जो वैष्णववाद और शैववाद से जुड़ा हुआ है इसीलिए इसे दक्षिण का बनारस भी कहा जाता है।
रामेश्वरम मैं कोई हवाई अड्डा नहीं है परंतु 163 किलोमीटर दूर मदुरई में हवाई अड्डा मौजूद है जो मंदिर तक पहुंचने के लिए सबसे पास का हवाई अड्डा है। एयरपोर्ट तक पहुंचने के बाद अगर आप चाहे तो टैक्सी की मदद से मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
परंतु अगर आप  रेल यात्रा के माध्यम से जाएंगे तो आप रामेश्वरम तक सीधे पहुंच सकते हैं। चेन्नई, मदुरई, कोयंबटूर, त्रिची, और तंजावुर से कई ट्रेनें रामेश्वरम को जाती-आती हैं।
अगर आप चाहें तो बस या कार के माध्यम से भी रामनाथस्वामी मंदिर तक पहुंच सकते हैं। उसके लिए आपको रामेश्वरम से जुड़े हुए शहरों जैसे मदुरई, कन्याकुमारी, चेन्नई त्रिची, पांडिचेरी या तंजावुर मे से तो आपके पास का शहर हो वहां तक पहुंचना होगा। वहां से आप आसानी से  रोड के माध्यम से रामेश्वरम तक पहुंच सकते हैं।
आशा करते हैं आपको रामेश्वरम के  रामनाथस्वामी मंदिर के विषय में यह पोस्ट अच्छा लगा होगा।  अगर आपको यह पोस्ट थोड़ा भी अच्छा लगा हो तो  इस पोस्ट को अपने सोशल मीडिया अकाउंट में शेयर करना ना भूलें।











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