Hanogi Mata Temple Himachal

Hanogi Mata Temple ,हणोगी माता मंदिर , हिमाचल


हणोगी माता का मंदिर नदी के दूसरी ओर है और वहां पर जाने के लिये नाव की व्यवस्था है । प्राचीन मंदिर उधर ही है पर मेन रोड पर भी मंदिर बनाया गया है । एक अच्छा पिकनिक स्पाट सा बन गया है माता का मंदिर क्योंकि मैने


बिजली महादेव से अपनी बाइक उठाकर मै वापिस रामशिला की ओर चल पडा । ये 20 किलोमीटर ही नही मै वापिस उतरते हुए ही सोचने लगा था कि अब किधर का रूख करूंगा । कई दिन हो गये थे और मै अकेला बोर होने लगा था । कुल्लू की ओर जगतसुख और नग्गर देखने का मन था लेकिन उसके बाद मनाली की ओर  से जाकर आना यानि दो या तीन दिन इस टूर में बढ सकते थे । फिर वापसी में अभी काफी कुछ बचा था । मेरे मन में शिकारी देवी और कमरूनाग घूम रहा था । दोनो जगह पैदल चढाई की थी इसलिये उनमें समय तो लगना ही था । मै बस यही सोच रहा था कि इस हिसाब से पन्द्रह दिन का कार्यक्रम हो जायेगा वापसी में तो फिर क्या किया जाये ?

आसान रास्ता ये था कि यहीं से यात्रा को वापसी की ओर मोड दूं और आखिरी फैसला भी यही किया । रामशिला से कुल्लू बाईपास की बढिया सडक मिली जिस पर मैन बाइक रफतार से दौडा दी और ओट पहुंच गया एक घंटे में । ओट एक कस्बा है यहां से मेरा प्रोग्राम घर चलने से पहले ये भी बना था कि जलोढी पास को बाइक से पार करूं । जाट देवता से फोन पर बात हुई तो उसने भी यही राय दी पर मैने अंदाजा लगाया कि अब या तो जलोढी पास में रूकना पडेगा या दूसरा तरीका ये है कि मै अभी करीब दो बजे से अगर हिम्मत करूं तो जंजैहली पहुच सकता हूं । अगर रास्ता सही हो बाइक दिक्कत ना करे तो यहां से 150 ​किलोमीटर के करीब जंजैहली पडेगा । अगर मै आज वहां पर पहुंच गया तो कल सुबह शिकारी देवी के मंदिर और कल ही रोहांडा पहुच जाउं ताकि परसो सुबह कमरूनाग की चढायी करके वापिस चल दूं । 

इसी विचार पर हिम्मत करने की ठानी । एक ही दिन में मणिकरण से चलकर बिजली महादेव और वहां से जंजैहली काफी लम्बा टूर था पर मन साधे तो सब सधे वाली कहावत सही है ओट में पहाड को काटकर सुरंग बनायी गयी है जो देश की लम्बी सुरंगो में से एक है । जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित जवाहर टनल पहले सबसे लम्बी टनल में गिनी जाती थी पर उसके बाद उसका स्थान ओट की सुरंग ने ही लिया था जो लगभग 3 किलोमीटर के आसपास है । शायद ये देश की सबसे लम्बी सडक या पहाडी सुरंग का खिताब भी लिये है लेकिन ये रिकार्ड रोज ही टूटते रहते हैं तो अब कौन सी है पता नही । ओट से निकलने के बाद हम पहाड की साइड में सीधे हाथ पर सडक चलती रहती है । उल्टे हाथ पर नीचे की ओर नदी बह रही है । धीरे धीरे सडक उंची होती जाती है । यहीं पर रास्ते में हणोगी माता का मंदिर आता है । पाराशर जाने के लिये मै इस रास्ते से भी जा सकता था पर मैने कटोल को होकर जाना चुना । जाट देवता ने मुझे बताया था कि यहां पर रूकने की बढिया व्यवस्था है । पर मुझे रूकने का ना समय था और ना ही जरूरत । 



हणोगी माता का मंदिर नदी के दूसरी ओर है और वहां पर जाने के लिये नाव की व्यवस्था है । प्राचीन मंदिर उधर ही है पर मेन रोड पर भी मंदिर बनाया गया है । एक अच्छा पिकनिक स्पाट सा बन गया है माता का मंदिर क्योंकि मैने यहां पर माता के ​दर्शनो के लिये ज्यादातर युवा जोडो को देखा । हो सकता है वो माता के दर्शनो के साथ साथ समय बिताने के लिये भी यहां पर आते हैं । मैने मंदिर पर ज्यादा समय नही बिताया और 50 एक्स जूम का फायदा उठाते हुए प्राचीन मंदिर के फोटो लिये क्योंकि वहां पर नाव का इंतजार हो रहा था और लोग मंदिर की सीढियो पर नाव की इंतजार में बैठै थे । मेरे पास इतना समय नही था । हणोगी माता के मंदिर की चढाई से पहले कालिका माता का मंदिर भी था । 















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