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Friday, April 26, 2019

ब्रज चैरासी कोसीय परिक्रमा मार्ग पर विभिन्न पड़ाव स्थलों पर 30 जनसुविधा केन्द्रों का निर्माण



  प्रस्तावना


ब्रज क्षेत्र भगवान श्रीकृष्ण की जन्म व क्रीड़ा स्थली होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से विश्व विख्यात है। यहाँ वर्ष पर्यन्त तीज-त्यौहारों पर लाखों परिक्रमार्थी/श्रद्धालु ब्रज क्षेत्र में विभिन्न परिक्रमायें लगाने के लिए आते हैं। इन परिक्रमाओं में ब्रज 84 कोस परिक्रमा का भी विशेष स्थान है। इस मार्ग की एवं मार्ग पर पड़ने वाले विभिन्न पड़ाव-स्थलों की स्थिति अत्यन्त दयनीय है। इस कारण परिक्रमार्थियों को बहुत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ब्रज चैरासी कोस परिक्रमा मार्ग का कुछ हिस्सा राजस्थान व हरियाणा राज्य में भी पड़ता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार ब्रज 84 कोसीय परिक्रमा में 30 पड़ाव स्थल हैं, जिनकी सूची संलग्न है। उक्त पड़ाव स्थलों पर परिक्रमार्थियों की सुविधा हेतु केन्द्रों के निर्माण की प्रस्तावना की गयी है। एक जनसुविधा केन्द्र में परिक्रमार्थियों के बैठने हेतु निम्न सुविधायें प्रस्तावित है-
  • शेड्स
  • टाॅयलेट्स
  • दुकानें
  • भण्डारा घर
  • आर0ओ0 पेयजल
  • सोलर लाईट द्वारा प्रकाश व्यवस्था
  • वृक्षारोपण व हाॅर्टिकल्चर आदि
जनसुविधा केन्द्र लगभग 1500 वर्गमी0 भूमि (30उ×50उ) पर नियोजित है। एक जनसुविधा केन्द्र के निर्माण की लागत रु. 119.54 लाख आकलित होती है। तत्क्रम में 30 पड़ाव स्थलों पर जनसुविधा केन्द्रों के निर्माण हेतु रु. 3586.28 लाख का आगणन तैयार किया गया है, जिसमें लेबर सेस, कन्टीजेंसी व सेन्टेज सम्मिलित है। आगणन में मदों की दरें पी0डब्ल्यू0डी0 एस0ओ0आर0 2015-16 एवं डी0एस0आर0-2014 व स्वीकृत दरों पर आधारित हैं। उक्त आगणन में जनसुविधा केन्द्र के मात्र निर्माण की लागत सम्मिलित है, जबकि भूमि की उपलब्धता जिला प्रशासन/शासन द्वारा करायी जानी है। निर्माण उपरान्त उक्त केन्द्र संचालन/रखरखाव हेतु पर्यटन विभाग को हस्तान्तरित किया जाना समीचिन होगा।
ब्रज 84 कोसीय परिक्रमा में परिक्रमार्थियों/श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जनसुविधा केन्द्र का निर्माण अति आवश्यक है एवं इसकी महत्ता के दृष्टिगत परियोजना शासन से वित्त पोषित किये जाने हेतु प्रस्तावित है।

ब्रज 84 कोसीय परिक्रमा मार्ग पर पड़ने वाले पड़ाव स्थलों का विवरण




ध्रुव कुण्ड, मधुवन
Dhruva Kund, Madhuvan

परिक्रमा मार्ग

इसी यात्रा में मथुरा की अंतरग्रही परिक्रमा भी शामिल है। मथुरा से चलकर यात्रा सबसे पहले भक्त ध्रुव की तपोस्थली 
1. मधुवन पहुँचती है। यहाँ से
2. तालवन,
3. कुमुदवन,

4. शांतनु कुण्ड

दानघाटीगोवर्धन
DanGhati Temple, Govardhan

5. सतोहा,
6. बहुलावन,
7. राधा-कृष्ण कुण्ड,
8. गोवर्धन
9. काम्यक वन,
10. संच्दर सरोवर,

11. जतीपुरा,

चन्द्रमा जी मन्दिर,काम्यवन
Chandrama Ji Temple, Kamyavan

12. डीग का लक्ष्मण मंदिर,
13. साक्षी गोपाल मंदिर व
14. जल महल,
15. कमोद वन,
16. चरन पहाड़ी कुण्ड,
17. काम्यवन,

18. बरसाना,

जल महल, डीग
Jal Mahal, Deeg

19. नंदगांव,
20. जावट,
21. कोकिलावन,
22. कोसी,
23. शेरगढ,

24. चीर घाट,

जतीपुरा मंदिर, प्रवेश द्वार, गोवर्धन

25. नौहझील,
26. श्री भद्रवन,
27. भांडीरवन,
28. बेलवन,
29. राया वन, यहाँ का

30. गोपाल कुण्ड,

31. कबीर कुण्ड,
32. भोयी कुण्ड,
33. ग्राम पडरारी के वनखंडी में शिव मंदिर,
34. दाऊजी,
35. महावन,
36. ब्रह्मांड घाट,


37. चिंताहरण महादेव,
38. गोकुल,
39. लोहवन,
40. वृन्दावन का मार्ग में तमाम पौराणिक स्थल हैं।

दर्शनीय स्थल

ब्रज चौरासी कोस यात्रा में दर्शनीय स्थलों की भरमार है। पुराणों के अनुसार उनकी उपस्थिति अब कहीं-कहीं रह गयी है। प्राचीन उल्लेख के अनुसार यात्रा मार्ग में 
  • 12 वन,

दाऊजी मन्दिर, बलदेव
Dauji Temple, Baldev
  • 24 उपवन,
  • चार कुंज,
  • चार निकुंज,
  • चार वनखंडी,
  • चार ओखर,
  • चार पोखर,

मथुरा नाथ श्री द्वारिका नाथ, महावन
Mathura Nath Shri Dwarika Nath, Mahavan
  • 365 कुण्ड,
  • चार सरोवर,
  • दस कूप,
  • चार बावरी,
  • चार तट,
  • चार वट वृक्ष,
  • पांच पहाड़,
  • चार झूला,
  • 33 स्थल रास लीला के तो हैं हीं, इनके अलावा कृष्णकालीन अन्य स्थल भी हैं। चौरासी कोस यात्रा मार्ग मथुरा में ही नहीं, अलीगढ़भरतपुरगुड़गांवफरीदाबादकी सीमा तक में पड़ता है, लेकिन इसका अस्सी फीसदी हिस्सा मथुरा में है।
36 नियमों का नित्य पालन ब्रज यात्रा के अपने नियम हैं इसमें शामिल होने वालों के प्रतिदिन 36 नियमों का कड़ाई से पालन करना होता है, इनमें प्रमुख हैं धरती पर सोना, नित्य स्नान, ब्रह्मचर्य पालन, जूते-चप्पल का त्याग, नित्य देव पूजा, कर्थसंकीर्तन, फलाहार, क्रोध, मिथ्या, लोभ, मोह व अन्य दुर्गुणों का त्याग प्रमुख है।


दिव्य दर्शन

ब्रज चैरासी कोसीय परिक्रमा मार्ग पर विभिन्न पड़ाव स्थलों पर 30 जनसुविधा केन्द्रों का निर्माण

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