बावे वाली माता मंदिर
तविषी नदी के पूर्वी तट पर जम्मू से तकरीबन दो किलोमीटर की दूरी पर बावे इलाके में स्थित होने के कारण इसे बावे वाली माता कहा जाता है. मान्यता है कि जम्मू राज्य को अपनी राजधानी बनाने के बाद जब राजा ने देवी की मूर्ति का मुंह अपने नए महल मुबारक मंडी की ओर करना चाहा, तो वे लगातार नाकाम रहे.
अंत में उन्होंने हाथियों की सहायता से देवी शिला को हिलाना चाहा, परंतु जब भी हाथी उस शिला को खींचते तो वे दर्द से चिंघाड़ने लगते.
एक और मान्यता के मुताबिक देवी मां की मूर्ति को हाथी भी वहां से हटा नहीं पाए थे. हिमालय में ऐसी देवी शक्तियां हैं जो लोगों की मनोकामनाएं एक पुकार पर ही पूरी कर देती हैं.